एक दिन अकबर और बीरबल सूर्योदय देख रहे थे कि तभी पास में ही कहीं शोर सुनायी पड़ा।
वे वहां पहुंचे और देखा कि कुछ यात्रियों को लूट कर डाकू वहां से भाग गये।
बादशाह ने सैनिकों को डाकुओं के पीछे भेजा, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। वे बिना कोई सबूत छोड़े भाग चुके थे।
अकबर बीरबल से बोले,
"मेरे बादशाह होने का क्या फायदा यदि मेरी नाक के नीचे भी लोगों को लूट लिया जाता है ?"
बीरबल ने उत्तर दिया, "जहांपनाह एक बड़ा चिराग जो कई मीलों तक रोशनी देता है उसके अपने नीचे अंधेरा होता है।"
अकबर यह बात सुनकर शांत हुए।
वे वहां पहुंचे और देखा कि कुछ यात्रियों को लूट कर डाकू वहां से भाग गये।
बादशाह ने सैनिकों को डाकुओं के पीछे भेजा, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। वे बिना कोई सबूत छोड़े भाग चुके थे।
अकबर बीरबल से बोले,
"मेरे बादशाह होने का क्या फायदा यदि मेरी नाक के नीचे भी लोगों को लूट लिया जाता है ?"
बीरबल ने उत्तर दिया, "जहांपनाह एक बड़ा चिराग जो कई मीलों तक रोशनी देता है उसके अपने नीचे अंधेरा होता है।"
अकबर यह बात सुनकर शांत हुए।
इस कहानी से शिक्षा : कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता। अतः हमें अपनी हदों को स्वीकार करने में ही समझदारी है।
जब किसी की असफलता उसकी मानसिक शांति को भंग कर देती है तो प्यार के कुछ शब्द मलहम की तरह काम करते हैं।
जब किसी की असफलता उसकी मानसिक शांति को भंग कर देती है तो प्यार के कुछ शब्द मलहम की तरह काम करते हैं।